आगरा धर्मांतरण मामले में रोज नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं, जो इस पूरे रैकेट की जटिलता और संगठित तरीके से चलाए जाने को उजागर कर रहे हैं। हाल ही में गोवा से इस गैंग की मुख्य आरोपी आयशा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस जांच और भी तेजी से आगे बढ़ रही है। दिल्ली के मुस्तफाबाद से गिरफ्तार मुख्य आरोपी अब्दुल रहमान ने पुलिस पूछताछ में इस रैकेट के संचालन का पूरा दायित्व स्वीकार किया है।
अब्दुल रहमान ने बताया कि 2021 से पहले इस धर्मांतरण गिरोह की कमान कलीम सिद्दीकी के हाथ में थी। लेकिन कलीम को एटीएस ने गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। कलीम की गिरफ्तारी के बाद अब्दुल रहमान ने इस गिरोह की पूरी जिम्मेदारी संभाली। उसके अनुसार, यह गिरोह लड़कियों का ब्रेन वॉश करता था और फिर उनकी शादी दिल्ली या कोलकाता में कराई जाती थी। शादी के बाद एक काजी लड़कियों से इस्लाम को छोड़ने के सवाल पर साफ मना करता था और उनसे इस्लाम के प्रति वफादारी निभाने की शपथ लेता था।
अब्दुल रहमान के मुताबिक, उन्हें बताया जाता था कि "अगर तुम अल्लाह की राह पर चलोगे तो तुम्हें जन्नत मिलेगी। अल्लाह अपने बच्चों की मदद तब करता है जब वे उसकी डगर पर चलते हैं। मौलवी और मौलानाजी जो कहें वही करना। निकाह के बाद पुराने रिश्तों को भूल जाना होगा।" यह साफ करता है कि इस गिरोह का उद्देश्य केवल धर्म परिवर्तन ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से लड़कियों को पूरी तरह प्रभावित करना था ताकि वे अपने पुराने परिवेश से कट जाएं।
शाहीन बाग में हुआ ब्रेन वॉश
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई कि हरियाणा के रोहतक की एक लड़की का ब्रेन वॉश गैंग के सरगना अब्दुल रहमान ने ही करवाया था। इसके लिए उसने दिल्ली के शाहीन बाग क्षेत्र को चुना था। यहां लड़की को मानसिक रूप से प्रभावित किया गया और फिर धर्मांतरण के लिए तैयार किया गया। इसके बाद लड़की का विवाद एक युवक जुनैद के साथ करवा दिया गया, ताकि लड़की के परिवार से उसका संबंध टूट जाए और उसे इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया जा सके।
यूपी पुलिस ने रोहतक की उस लड़की को मुस्तफाबाद से रेस्क्यू किया है, जिसने पूछताछ में कई बड़े खुलासे किए हैं। उसने बताया कि वह अकेली नहीं है, बल्कि उसने कई हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया था। यह बात इस गिरोह की साजिश की भयावहता को दर्शाती है।
अचानक गायब हुई लड़की
हरियाणा के रोहतक की रहने वाली इस हिंदू लड़की के अचानक घर से गायब होने की सूचना 12 नवंबर को मिली थी। इसके बाद 13 नवंबर को परिवार वालों ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता के पिता ने बताया कि लड़की गुमसुम रहती थी, घर में किसी से बातचीत नहीं करती थी और ज्यादा समय मोबाइल पर बिताती थी।
रेस्क्यू की गई लड़की ने स्वीकार किया कि वह पहली नहीं थी, बल्कि इस गिरोह द्वारा कई हिंदू लड़कियों को प्रभावित किया गया और उनका धर्मांतरण करवाया गया।
आगरा की दो बहनों का मामला
पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि आगरा की जिन दो बहनों का धर्मांतरण कराया गया था, वे पहले दिल्ली में अब्दुल रहमान के पास आई थीं। यहां उनकी खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की गई। इसके बाद उन्हें कोलकाता भेज दिया गया, जहां शादी और धर्मांतरण की औपचारिकताएं पूरी की गईं।
गिरोह की संरचना और कार्यप्रणाली
पूछताछ में अब्दुल रहमान ने बताया कि यह गिरोह बहुत ही संगठित तरीके से काम करता था। लड़कियों को आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया जाता था। लड़कियों को पहले भावनात्मक रूप से प्रभावित किया जाता, फिर धीरे-धीरे उनका मानसिक ब्रेन वॉश किया जाता। इसके बाद उनकी शादी इस्लाम धर्म के अनुयायियों से करवाई जाती और वे पूरी तरह से अपने पुराने परिवेश से कट जातीं।
इस गिरोह का मकसद केवल धर्म परिवर्तन नहीं था, बल्कि लड़कियों की मानसिक स्थिति और सामाजिक पहचान को पूरी तरह बदल देना था ताकि वे नए धर्म के प्रति वफादार रहें और पुराने रिश्तों से पूरी तरह अलग हो जाएं।
जांच में और भी संभावित गिरफ्तारी
आगरा धर्मांतरण मामले में यूपी एसटीएफ को बड़ी सफलता मिली है। गोवा से आयशा की गिरफ्तारी के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही गिरोह के अन्य सदस्य भी पुलिस की गिरफ्त में आएंगे। पुलिस लगातार मामले की गहन जांच कर रही है और इस गिरोह के नेटवर्क को तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
निष्कर्ष
आगरा धर्मांतरण मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह की साजिश है, जो लड़कियों का मानसिक ब्रेन वॉश कर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करता है। इस गिरोह की गिरफतारी और जांच से साफ हो रहा है कि देश में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं, जो सामाजिक और धार्मिक सौहार्द्र को भंग करने की कोशिश कर रहे हैं।
पुलिस की सतर्कता और तेजी से हुई कार्रवाई से इस गिरोह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो रही है। इसके साथ ही यह मामला समाज में जागरूकता फैलाने का भी जरिया बन गया है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को नजरअंदाज न किया जाए और तुरंत सुरक्षा एजेंसियों को सूचित किया जाए।
आगे की जांच में इस गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में भी खुलासे हो सकते हैं, जो समाज के लिए बेहद जरूरी हैं ताकि धार्मिक आधार पर ऐसी मनगढ़ंत साजिशों को रोका जा सके और देश में सामाजिक सद्भाव बनाए रखा जा सके।