लातूर, महाराष्ट्र: भारतीय राजनीति के एक युग का अंत करते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल चाकुरकर का आज सुबह लातूर स्थित उनके निवास पर निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, उन्होंने सुबह करीब 6:30 बजे लातूर में अपने घर "देवघर" में अंतिम सांस ली। पाटिल लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज घर पर ही चल रहा था। उनके निधन की खबर से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है।
संवैधानिक पदों पर लंबी और प्रतिष्ठित पारी
शिवराज पाटिल चाकुरकर का राजनीतिक जीवन चार दशकों से अधिक का रहा, जिसमें उन्होंने देश के कई सर्वोच्च संवैधानिक और कार्यकारी पदों पर अपनी सेवाएं दीं। महाराष्ट्र के लातूर से आने वाले पाटिल एक कुशल प्रशासक और विनम्र व्यक्तित्व के धनी थे। लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर): पाटिल ने 1991 से 1996 तक दसवीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने सदन की कार्यवाही को कुशलता से संचालित किया और देश की लोकतांत्रिक तथा संवैधानिक प्रक्रिया को मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभाई।
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केंद्रीय मंत्री: उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण केंद्रीय मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली, जिनमें रक्षा उत्पादन, वाणिज्य और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे विभाग शामिल हैं।
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केंद्रीय गृह मंत्री: मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान, उन्होंने 2004 से 2008 तक देश के केंद्रीय गृह मंत्री का पद संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान, 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जिसके बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था।
सादगी और बौद्धिक क्षमता की पहचान
शिवराज पाटिल की पहचान उनकी सादगी, गहन बौद्धिक क्षमता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति उनके अटूट समर्पण के लिए थी। एक अनुभवी सांसद के रूप में, उन्हें सदन में नियमों और परंपराओं की गहरी जानकारी थी। वे अपनी बात हमेशा संयमित और तार्किक तरीके से रखने के लिए जाने जाते थे। अपने गृह राज्य महाराष्ट्र और विशेषकर लातूर में, उन्हें हमेशा एक दूरदर्शी नेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राजनीतिक जगत में शोक
उनके निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, कांग्रेस पार्टी के नेताओं और विभिन्न दलों के प्रमुखों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने शोक संदेश में कहा कि देश ने एक अनुभवी प्रशासक और संवैधानिक विशेषज्ञ खो दिया है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पाटिल जी का योगदान देश कभी नहीं भूल सकता। पाटिल के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया जल्द ही लातूर में पूरी की जाएगी, जहां उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। उनका निधन भारतीय राजनीति में एक ऐसी खाली जगह छोड़ गया है जिसे भर पाना मुश्किल होगा।