देश में डिजिटल कंटेंट की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ अश्लील और गैर-कानूनी सामग्री की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। इसी को लेकर केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 25 OTT प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स को बैन करने का आदेश जारी किया है। इन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट दिखाने का आरोप है, जिससे समाज में असामाजिक प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिल रहा है। इस कारण सरकार ने तत्काल प्रभाव से इन ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के निर्देश इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) को भेजे हैं।
सरकार का आदेश और कानूनी आधार
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (IT Act 2000) और 2021 के बीच में संशोधित नियमों के तहत की गई है। इनमें प्रमुख हैं IT अधिनियम 2021 के इंटरमीडिएरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड, जो डिजिटल कंटेंट की निगरानी के लिए बनाए गए हैं।
सरकार ने इस आदेश में कहा है कि 25 ऐप्स और वेबसाइट्स पर गैर-कानूनी, अश्लील और आपत्तिजनक डिजिटल कंटेंट प्रसारित करने का दोष पाया गया है। इसलिए उन्हें तुरंत ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया। इस सूची में कुल 26 वेबसाइट्स और 14 मोबाइल ऐप्स शामिल हैं, जिनमें से 9 गूगल प्ले स्टोर और 5 ऐपल ऐप स्टोर पर उपलब्ध थे।
कानून के तहत, यदि कोई ISP या संबंधित प्लेटफॉर्म सरकार के आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ IT Act की धारा 79(1) के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा इन ऐप्स को दोषी मानते हुए IT एक्ट की धारा 67 और 67A, भारतीय दंड संहिता 2023 की धारा 294 तथा महिला अश्लील चित्रण निषेध अधिनियम 1986 की धारा 4 के तहत भी कार्रवाई की गई है।
पिछले साल भी हुई थी बड़ी कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने OTT प्लेटफॉर्म्स और ऐप्स को लेकर कार्रवाई की हो। मार्च 2024 में भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 18 OTT प्लेटफॉर्म, 19 वेबसाइट्स, 10 मोबाइल ऐप्स और 57 सोशल मीडिया अकाउंट्स को बैन किया था। तब भी आरोप था कि ये प्लेटफॉर्म अश्लीलता, अभद्र भाषा और महिलाओं के अपमानजनक चित्रण को बढ़ावा दे रहे थे।
उस समय भी यह कार्रवाई IT एक्ट की धारा 67, 67A, भारतीय दंड संहिता की धारा 294 और महिला अश्लील चित्रण निषेध अधिनियम 1986 की धारा 4 के तहत की गई थी। इस कार्रवाई ने डिजिटल कंटेंट के क्षेत्र में सरकारी सतर्कता का एक नया संदेश दिया था।
सरकार की क्या मंशा है?
सरकार का कहना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की स्वतंत्रता को बढ़ावा देते हुए भी सामाजिक नैतिकता और कानून का पालन आवश्यक है। अश्लील और गैर-कानूनी कंटेंट से न केवल समाज का नैतिक आधार कमजोर होता है, बल्कि युवाओं पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वह भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को सुरक्षित, स्वस्थ और नैतिक रूप से मजबूत बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर सख्त कार्रवाई जरूरी है जो कानून का उल्लंघन करते हैं।
इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP) की भूमिका
इस आदेश के तहत इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे संबंधित ऐप्स और वेबसाइट्स को तत्काल ब्लॉक करें। ISP को सरकारी आदेश की कॉपी भी भेजी गई है और उन्होंने इसका पालन सुनिश्चित करना है।
अगर कोई ISP या प्लेटफॉर्म आदेश का उल्लंघन करता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी जुर्माना और कानूनी मुकदमे भी शामिल हैं। यह कदम डिजिटल मीडिया में अनुशासन बनाए रखने के लिए अहम माना जा रहा है।
डिजिटल मीडिया की जिम्मेदारी
आज के समय में OTT प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल ऐप्स मनोरंजन का बड़ा माध्यम बन गए हैं। लेकिन इनके साथ-साथ जिम्मेदारी भी बढ़ गई है कि वे ऐसा कंटेंट प्रदर्शित करें जो समाज के नैतिक मूल्यों का सम्मान करे।
सरकार की इस कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि कंटेंट की आज़ादी का मतलब अनियंत्रित अश्लीलता नहीं है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को नियमों का पालन करते हुए कंटेंट तैयार करना होगा, जो सभी वर्गों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक हो।
उपयोगकर्ताओं को क्या करना चाहिए?
सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के बाद आम उपयोगकर्ताओं को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है। अगर कोई ऐप या वेबसाइट संदिग्ध या आपत्तिजनक कंटेंट दिखा रही हो, तो उसे तुरंत रिपोर्ट करें। साथ ही, बच्चों और युवा वर्ग को ऐसे ऐप्स से दूर रखना भी आवश्यक है।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा 25 OTT प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाना एक सख्त और आवश्यक कदम है। यह कार्रवाई डिजिटल मीडिया में नैतिकता और कानून के पालन को सुनिश्चित करने के लिए की गई है।
भारत डिजिटल युग में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ यह भी जरूरी है कि डिजिटल कंटेंट ऐसा हो जो सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप हो। सरकार का यह कदम इस दिशा में एक मजबूत संदेश है कि डिजिटल आज़ादी के साथ-साथ जिम्मेदारी भी जरूरी है।
इस तरह के कदम से देश का डिजिटल मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र अधिक सुरक्षित और स्वस्थ बनेगा, जिससे हर वर्ग के लोग खुशी-खुशी इसका आनंद ले सकेंगे।