भारत और पाकिस्तान के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में सीजफायर लागू होने के बावजूद जुबानी जंग लगातार जारी है। दोनों देश एक-दूसरे पर कटाक्ष और आरोप-प्रत्यारोप का कोई मौका नहीं छोड़ते। इस वक्त सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग चल रहा है, जिसमें लगभग 40 देशों के रक्षा विशेषज्ञ, सैन्य अधिकारी और थिंक टैंक आपस में चर्चा कर रहे हैं। इस मंच पर दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारी भी मौजूद हैं, जहां उन्होंने एक-दूसरे को कड़ी चेतावनी दी और अपने-अपने पक्ष को सही ठहराने के लिए कड़ा रुख अपनाया।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग में स्पष्ट किया कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी सहनशीलता की सीमा तय कर दी है। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने एक नई ‘लाल रेखा’ खींची है, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी कैंपों पर हवाई हमले किए थे। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे। अनिल चौहान ने साफ किया कि ये ऑपरेशन आतंकवादियों को कड़ा सबक सिखाने के लिए था ताकि वे भारत को आतंकवादी हमलों के लिए इस्तेमाल न कर सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई राजनीतिक और सैन्य दोनों रूपों में भारत की असहिष्णुता का प्रदर्शन है और विरोधियों को यह समझना होगा कि भारत की सहनशीलता की सीमाएं पार नहीं की जा सकतीं।
पाकिस्तान की मांगें और आरोप
पाकिस्तान की ओर से शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लेने आए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने कश्मीर मुद्दे को भारत-पाकिस्तान विवाद की जड़ बताया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की मांग की। मिर्जा ने चेतावनी दी कि अगर कश्मीर मुद्दे को हल नहीं किया गया, तो इससे विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
उन्होंने कुछ देशों के नाम भी सुझाए, जिन्हें वे मध्यस्थ के रूप में देखना चाहते हैं, जिनमें चीन, तुर्की, अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और यूएई शामिल हैं। मिर्जा ने पाकिस्तान को आतंकवाद से पीड़ित देश बताया और कहा कि आतंकवाद की वजह से पाकिस्तान को आर्थिक नुकसान हुआ है और हजारों लोगों की मौत हुई है।
भारत का रुख और विश्व समुदाय की भूमिका
भारत ने हमेशा कश्मीर विवाद पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से इंकार किया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अमेरिका समेत कई देशों को साफ कहा था कि कश्मीर विवाद का समाधान द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही संभव है और किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।
वहीं, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई के समर्थन में दुनियाभर में 7 प्रतिनिधिमंडलों को भेजा है, जो विभिन्न देशों में जाकर पहलगाम आतंकी हमले जैसे घटनाक्रम की जानकारी दे रहे हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य विश्व समुदाय को पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों और उसकी सरपरस्ती के बारे में सचेत करना है।
शांगरी-ला डायलॉग की महत्ता
शांगरी-ला डायलॉग एक महत्वपूर्ण मंच है जहां एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देश अपनी सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर बातचीत करते हैं। इस डायलॉग में दोनों पड़ोसी देशों के सैन्य अधिकारी आमने-सामने आते हैं और अपने-अपने पक्ष की बात रखते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में यह मंच कभी-कभी तनाव बढ़ाने का कारण भी बन जाता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच कई मौकों पर तीखी जुबानी लड़ाई होती रही है।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर विवाद जटिल और गहरा है। शांगरी-ला डायलॉग जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दोनों देशों के बीच तल्खियां कम नहीं होतीं। भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है और पाकिस्तान से अपनी सीमाओं पर आतंकवाद रोकने की मांग करता है। वहीं, पाकिस्तान कश्मीर विवाद में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग करता रहता है।
इस पूरे विवाद में वैश्विक समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, पर भारत की ओर से साफ इंकार के कारण मध्यस्थता की संभावना फिलहाल सीमित दिखती है। दोनों देशों के बीच सीजफायर का पालन और कूटनीतिक प्रयास ही भविष्य में शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। तब तक जुबानी जंग और आरोप-प्रत्यारोप जारी रहेंगे, जिनका असर क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा पर पड़ता रहेगा।