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मणिपुर की राजनीति में नई हलचल, बीजेपी ने 37 विधायकों को दिल्ली तलब किया—सरकार गठन की चर्चाओं के संकेत

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Posted On:Friday, December 12, 2025

मणिपुर की राजनीति एक बार फिर तेज़ी से बदलते घटनाक्रमों का केंद्र बन चुकी है। लंबे समय से राजनीतिक गतिरोध और राष्ट्रपति शासन की स्थिति झेल रहे राज्य में अब स्थिर सरकार की दिशा में कदम बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी 37 विधायकों को 14 दिसंबर को नई दिल्ली बुलाया है, जहाँ केंद्रीय नेतृत्व के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है।

इस बैठक को मणिपुर में नई सरकार के गठन और राजनीतिक स्थिति को सामान्य करने की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब राज्य में लगभग डेढ़ साल से जारी प्रशासनिक गतिरोध और जातीय हिंसा के कारण शासन पूरी तरह केंद्र के हाथों में है।

60 सदस्यीय सदन में बीजेपी की बहुमत स्थिति

मणिपुर विधानसभा की कुल सीटें 60 हैं, जिनमें से बीजेपी के पास अकेले 37 विधायक हैं। यह संख्या पार्टी को राज्य में एक मजबूत स्थिति देती है। इसके बावजूद, राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए सहयोगी दलों की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। हालाँकि बीजेपी बहुमत के करीब है, लेकिन मणिपुर की जटिल सामाजिक संरचना और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए किसी भी सरकार के सुचारू संचालन के लिए व्यापक समर्थन ज़रूरी माना जाता है।

पृष्ठभूमि: क्यों फंसा था मणिपुर का राजनीतिक तंत्र?

मणिपुर मई 2023 से लगातार संकट की स्थिति में है। राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़कने के बाद हालात नियंत्रण से बाहर हो गए थे। इसके बाद राजनीतिक परिस्थितियाँ भी बिगड़ती चली गईं।फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। विधानसभा को सस्पेंड ऐनिमेशन में रख दिया गया—अर्थात विधानसभा भंग नहीं हुई लेकिन उसका कामकाज रोक दिया गया। इस वजह से सरकार गठन की प्रक्रिया भी ठप पड़ गई। लगातार प्रशासनिक अनिश्चितता, जातीय तनाव और सुरक्षा मुद्दों ने राज्य के विकास, कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक ढांचे को गहराई से प्रभावित किया है।

दिल्ली बैठक का महत्व—कई निर्णय संभव

बीजेपी द्वारा विधायकों को दिल्ली बुलाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण माने जा रहे हैं:

  1. नई सरकार गठन पर चर्चा
    लंबे समय से मणिपुर में सत्ता का अभाव राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर तनाव बढ़ा रहा है। ऐसे में दिल्ली बैठक के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।

  2. मुख्यमंत्री पद पर सहमति बनाए जाने की कोशिश
    यह भी माना जा रहा है कि बैठक में मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरों पर विचार होगा। पार्टी ऐसे चेहरे की तलाश कर सकती है जो सभी समुदायों के बीच स्वीकार्य हो।

  3. गठबंधन एवं सहयोगी दलों से जुड़ी रणनीति
    प्रदेश में सरकार स्थिर रखने के लिए सहयोगी दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। ऐसे में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व संभावित सहयोगियों से बातचीत की रणनीति विधायकों के साथ साझा कर सकता है।

  4. मणिपुर की सुरक्षा और प्रशासनिक प्राथमिकताएँ
    मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में आने वाली सरकार को आंतरिक सुरक्षा, पुनर्वास, और जातीय सद्भाव पर विशेष ध्यान देना होगा। बैठक में इन विषयों पर भी नीति स्तर की चर्चा होने की संभावना है।

क्या जल्द बनेगी सरकार?

राजनीतिक हलकों में इस बात के कयास तेज़ हैं कि बीजेपी का यह कदम राज्य में नई सरकार के गठन का संकेत है। राष्ट्रपति शासन जारी रहने से न केवल राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है, बल्कि प्रशासनिक चुनौतियाँ भी लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में अगर दिल्ली की बैठक में सर्वसम्मति बनती है, तो मणिपुर में जल्द ही नए मुख्यमंत्री और नई सरकार की घोषणा देखी जा सकती है।


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