मुंबई, 28 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ब्रिटेन में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण का एक गंभीर मामला सामने आया है। सांसद रूपर्ट लोवे ने 26 अगस्त को दावा किया कि देश के 85 से अधिक इलाकों में रेप गैंग सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि इन गिरोहों के ज्यादातर सदस्य पाकिस्तानी मूल के लोग हैं और जांच में 1960 के दशक तक के मामलों का खुलासा हुआ है। इस जांच में सैकड़ों पीड़ितों और उनके परिवारों से बातचीत की गई और फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन (FOI) के तहत हजारों शिकायतें जुटाई गईं। लोवे का कहना है कि ये गिरोह लंबे समय से ऐसे अपराधों में लिप्त हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने उन्हें नजरअंदाज किया।
रिपोर्ट के अनुसार, इन गैंग्स का शिकार अधिकतर गरीब घरों की गोरी लड़कियां बनीं। पीड़िताओं ने बताया कि उन्हें बचपन में ही निशाना बनाया गया, पहले ड्रग्स देकर उनकी लत लगाई गई और उसके बाद बलात्कार कर धमकाया गया कि अगर उन्होंने मुंह खोला तो गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। जांच में ब्रिटेन पुलिस, सामाजिक सेवाओं और क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विस (CPS) की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए। कई मामलों में पीड़ितों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया और कभी-कभी तो उन्हें ही दोषी ठहरा दिया गया। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पुलिस को डर था कि अपराधियों की जातीय पहचान उजागर होने से सामुदायिक तनाव भड़क सकता है, इसलिए कार्रवाई टाल दी गई।
लोवे ने कहा कि यह अपराध पहले से कहीं ज्यादा व्यापक हो चुका है और लाखों जिंदगियां इसकी वजह से बर्बाद हो गई हैं। टेलफोर्ड में पिछले 40 सालों में 1,000 से अधिक लड़कियों का यौन शोषण और तस्करी की गई, जबकि रोथरहम में 1997 से 2013 के बीच करीब 1,500 लड़कियों को निशाना बनाया गया। सांसद लोवे ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अगर कोई विदेशी नागरिक इस अपराध में शामिल पाया जाए और उसने इसे छिपाने की कोशिश की हो, तो उसे देश से निकाल देना चाहिए। वहीं, अगर कोई ब्रिटिश नागरिक ऐसे मामलों की जानकारी रखता था और उसने कार्रवाई नहीं की, तो उस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
इससे पहले 2022 में प्रोफेसर एलेक्सिस जे की अगुवाई में बनी स्वतंत्र जांच कमेटी ने सात साल की जांच के बाद 20 सिफारिशें पेश की थीं। इसमें इंग्लैंड और वेल्स में हजारों पीड़ितों की स्थिति सामने आई थी और बाल यौन शोषण को महामारी जैसा संकट बताया गया था। जनवरी 2025 में टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने भी ब्रिटेन के ग्रूमिंग गैंग्स पर सवाल उठाए थे। इसके बाद सरकार ने बैरोनेस लुईस केसी से एक विशेष रिपोर्ट तैयार करवाने का आदेश दिया। जून में जारी इस रिपोर्ट में पाया गया कि सरकार के पास अपराधियों की जातीय और राष्ट्रीय पहचान से जुड़ी पर्याप्त जानकारी मौजूद नहीं थी, जिसे एक बड़ी विफलता माना गया। रिपोर्ट में 12 सिफारिशें दी गईं और प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इसी आधार पर जून में राष्ट्रीय जांच शुरू की।