भारत में सोने का स्थान केवल आभूषणों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह परंपरा, विरासत, श्रद्धा और सामाजिक प्रतिष्ठा से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। शादियों से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों तक, सोने की भूमिका बेहद अहम होती है। लेकिन हाल के वर्षों में इसकी लगातार बढ़ती कीमतों ने आम उपभोक्ताओं के लिए सोना खरीदना कठिन बना दिया है। विशेष रूप से 22 कैरेट और 24 कैरेट जैसे उच्च शुद्धता वाले सोने की कीमतें इतनी अधिक हो गई हैं कि ये केवल अमीर तबके के ही विकल्प बनकर रह गए थे।
इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (GJC) ने एक बड़ा फैसला लिया है – 9 कैरेट गोल्ड को भी आधिकारिक मान्यता दे दी गई है। यह निर्णय खास तौर पर मिडिल क्लास और युवा पीढ़ी के उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है।
क्यों ज़रूरी था 9 कैरेट गोल्ड को मान्यता देना?
GJC के अध्यक्ष राजेश रोकड़े के मुताबिक, सोने की कीमतें अब उस स्तर पर पहुंच चुकी हैं, जहां 22 या 24 कैरेट गोल्ड आम उपभोक्ता की पहुंच से बाहर हो गया है। ऐसे में 9 कैरेट गोल्ड एक सस्ता, टिकाऊ और स्टाइलिश विकल्प बनकर सामने आता है।
9 कैरेट गोल्ड में केवल 37.5% शुद्ध सोना होता है, जबकि बाकी हिस्सा अन्य धातुओं जैसे तांबा, निकल या जिंक से मिलकर बनता है। इससे न केवल इसकी कीमत कम होती है, बल्कि यह रंग और मजबूती के मामले में भी बेहतर होता है। इसका इस्तेमाल कर आकर्षक डिज़ाइनों की फैशनेबल ज्वेलरी बनाई जा सकती है जो जल्दी खराब नहीं होती।
युवाओं और मिडिल क्लास की पसंद
जेन-Z और मिलेनियल उपभोक्ता अब भारी और परंपरागत गहनों के बजाय हल्के, यूनिक और डेली वियर के लिए उपयुक्त ज्वेलरी की ओर झुक रहे हैं। 9K, 14K और 18K गोल्ड से बनी गहनों की डिमांड तेज़ी से बढ़ रही है क्योंकि ये किफायती भी होते हैं और स्टाइलिश भी।
रोज गोल्ड, पिंक गोल्ड, और व्हाइट गोल्ड जैसे विकल्पों के प्रति भी आकर्षण बढ़ा है। इनमें से रोज गोल्ड और पिंक गोल्ड खासकर लड़कियों और महिलाओं में विवाह, सगाई और खास अवसरों पर पहने जाने वाले गहनों में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं।
क्या है गोल्ड के अलग-अलग कैरेट?
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा मान्यता प्राप्त गोल्ड कैरेट्स और उनकी शुद्धता कुछ इस प्रकार हैं:
गोल्ड कैरेट |
शुद्धता (%) |
उपयोग |
24K |
99.9% |
सिक्के, निवेश |
22K |
91.6% |
परंपरागत गहने |
18K |
75% |
मॉडर्न और डायमंड ज्वेलरी |
14K |
58.5% |
हल्की और रोज़ाना इस्तेमाल की जाने वाली ज्वेलरी |
10K |
41.7% |
फैशनेबल ज्वेलरी |
9K |
37.5% |
स्टाइलिश और किफायती विकल्प |
व्हाइट गोल्ड और रोज गोल्ड की बढ़ती मांग
इट गोल्ड – यह एक मिश्रित धातु है जिसमें सोने के साथ पैलेडियम, सिल्वर और निकल जैसे मेटल्स मिलाए जाते हैं। इसका इस्तेमाल डायमंड ज्वेलरी में खूब होता है। यह टिकाऊ, स्टाइलिश और रोज़मर्रा पहनने लायक विकल्प बन चुका है।
रोज गोल्ड और पिंक गोल्ड – यह खासतौर पर युवाओं में लोकप्रिय हैं। इनका रंग हल्का गुलाबी और बेहद आकर्षक होता है। ये आम पीले सोने की तुलना में ज्यादा यूनिक लगते हैं और इनसे मॉडर्न, फैशनेबल गहने बनाए जाते हैं। ब्राइडल रिंग्स, एक्सेसरीज़, स्मार्टवॉचेज़ तक में अब इन रंगों की डिमांड बढ़ गई है।
क्या बदल जाएगा इस मान्यता से?
9 कैरेट गोल्ड को आधिकारिक मान्यता मिलने से न केवल गहनों की कीमतें किफायती होंगी, बल्कि इससे सोने का बाजार और ग्राहक वर्ग भी विस्तृत होगा। अब वो वर्ग भी आसानी से गहने खरीद सकेगा, जो पहले सिर्फ 22K या 24K के महंगे दामों की वजह से दूर रह जाते थे।
यह कदम आभूषण उद्योग के लिए भी लाभकारी है क्योंकि डिज़ाइनर्स को ज्यादा वैरायटी और मेटल ऑप्शन्स मिलेंगे, जिससे वे नए-नए ट्रेंडिंग ज्वेलरी कलेक्शन पेश कर सकेंगे।
निष्कर्ष
GJC का यह फैसला भारतीय आभूषण उद्योग के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। 9 कैरेट गोल्ड की मान्यता से अब हर वर्ग के उपभोक्ता के लिए स्टाइलिश और भरोसेमंद ज्वेलरी खरीदना संभव हो सकेगा। यह सिर्फ एक आर्थिक कदम नहीं, बल्कि एक सामाजिक समावेशिता की दिशा में बढ़ाया गया अहम कदम भी है, जो भारत में परंपरा और आधुनिकता के बीच एक संतुलन स्थापित करता है।