भारत में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेजी से बढ़ रही है। कर्नाटक के कांग्रेस विधायक कोथुर मंजुनाथ ने इसे सिर्फ ‘दिखावा’ बताया है और कहा कि इससे न तो न्याय मिला है और न ही पहलगाम हमले के पीड़ितों को सच्ची सांत्वना। उनका कहना है कि तीन-चार विमान उड़ाना और फिर उन्हें वापस बुला लेना कुछ खास फर्क नहीं डालता। उन्होंने यह भी सवाल उठाए कि क्या इससे उन 26-28 शहीदों और हमले में प्रभावित महिलाओं के दुख को कम किया जा सकता है या उनके सम्मान की रक्षा हो पाती है।
वहीं, भाजपा और सपा के कुछ नेताओं द्वारा जातीय और धार्मिक टिप्पणियां करने के मामले भी सामने आए हैं, जैसे कि एमपी में भाजपा मंत्री कर्नल सोफिया कुरैशी और यूपी में सपा सांसद रामगोपाल यादव द्वारा की गईं।
यह बयानबाजी भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के सीजफायर के बाद और तेज हुई है, जो देश के राजनीतिक माहौल में नई चुनौतियां खड़ी करती है।
ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी:
भारतीय सेना ने 6-7 मई की मध्यरात्रि को पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी लॉन्च पैड्स को तबाह कर दिया था। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया।
लेकिन कांग्रेस विधायक मंजुनाथ ने इस संख्या और हमले की पुष्टि पर भी संदेह जताया। उन्होंने पूछा कि क्या यह निश्चित है कि मारे गए आतंकी वही थे जो 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए हमले के लिए जिम्मेदार थे।
मंजुनाथ ने केंद्र सरकार और खुफिया एजेंसियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सीमा सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र पूरी तरह से फेल हो चुका है। उन्होंने पूछा कि आखिर वे आतंकी कौन थे, कैसे हमारी सीमा में घुसे और कैसे भाग निकले?
सारांश:
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ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राजनीतिक विवाद और बयानबाजी तेज।
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कांग्रेस विधायक मंजुनाथ ने ऑपरेशन को ‘दिखावा’ बताया।
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भाजपा और सपा नेताओं के बीच धार्मिक-जातीय विवाद भी बढ़े।
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सेना ने बड़ी कार्रवाई की, लेकिन कुछ नेता कार्रवाई की सच्चाई पर सवाल उठा रहे हैं।
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देश में सुरक्षा और खुफिया तंत्र की क्षमता पर बहस जारी।