मुंबई, 24 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोला है। डोटासरा ने सवाल उठाते हुए कहा कि तीन दिन हो गए लेकिन अब तक धनखड़ के इस्तीफे को लेकर न तो कोई आधिकारिक बयान आया है और न ही बीजेपी का कोई नेता उनकी कुशलक्षेम पूछने उनके घर गया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कोई एक भी केंद्रीय मंत्री ऐसा है जिसने जाकर धनखड़ से हालचाल पूछा हो। डोटासरा ने कहा कि बीजेपी की कार्यशैली ही यही है कि हर संवैधानिक पद और हर राज्य में अपनी पसंद के लोगों को बैठाया जाए और जब वे अपनी बुद्धिमत्ता और स्वतंत्रता से काम करने लगें, संविधान के अनुसार निर्णय लेने लगें तो उन्हें हटा दिया जाए और दूसरा पपेट बैठा दिया जाए। उन्होंने कहा कि यही प्रयोग राजस्थान और दिल्ली में देखने को मिल रहा है। डोटासरा ने बीजेपी के नेतृत्व को निशाने पर लेते हुए कहा कि राजस्थान में जब मुख्यमंत्री के नाम का सवाल आया तो बाहर से पर्ची आई और राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया, सीपी जोशी और वसुंधरा राजे जैसे नेताओं को किनारे कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इन नेताओं में कोई कमी नहीं थी लेकिन बीजेपी का मॉडल यही है कि वह जनता से जुड़े नेताओं को आगे नहीं आने देती। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘हम दो हमारे दो’ वाला पैटर्न देश के लिए बेहद खतरनाक है।
उन्होंने कहा कि जगदीप धनखड़ राजस्थान के सपूत हैं और उनके इस्तीफे से पूरे राज्य का अपमान हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि धनखड़ ने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया या उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने इसे तानाशाही सरकार की कार्यशैली पर बड़ा सवाल बताया और कहा कि बीजेपी की नीति यही है कि किसानों, दलितों, पिछड़ों और गरीब सवर्णों से वोट तो लो लेकिन जब उनके प्रतिनिधि सवाल उठाएं या तानाशाही न माने तो उन्हें दरकिनार कर दो। डोटासरा ने इसे संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह पूरी छत्तीस कौम का अपमान है और इससे यह भी साफ हो गया है कि डबल इंजन की सरकारें लोकतंत्र की राह पर नहीं बल्कि तानाशाही के रास्ते पर चलती हैं, जिसका आने वाले समय में बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत द्वारा पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ कराने की बात पर डोटासरा ने कहा कि अविनाश गहलोत कौन होते हैं पंचायत चुनाव की घोषणा करने वाले। उन्होंने कहा कि चाहे पंचायत राज मंत्री हों, नगर निकाय मंत्री हों, मुख्यमंत्री हों या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, सबने मिलकर पंचायत चुनावों को तमाशा बना दिया है। उन्होंने दावा किया कि दिसंबर में चुनाव करवाने की बात की जा रही है जबकि ओबीसी आयोग की रिपोर्ट ही आने वाली नहीं है, ऐसे में यह मुमकिन ही नहीं कि समय पर चुनाव हो सकें। सरकार पर वित्तीय संकट का दावा करते हुए डोटासरा ने कहा कि दिसंबर के बाद राज्य सरकार इतने गहरे आर्थिक संकट में आ जाएगी कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार में कोई काम नहीं हो रहा, केवल घोषणाएं हो रही हैं और दूसरी तरफ ट्रांसफर का खेल चल रहा है, जिसमें आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की तबादला सूचियों में बड़े-बड़े नाम हटाए जा रहे हैं लेकिन यह पैसा जा कहां रहा है, कोई नहीं बता रहा।