उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे बाहरी लोगों, संदिग्ध प्रवासियों और फर्जी पहचान के मामलों को लेकर योगी सरकार लगातार सख्ती बरत रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार दोहरा चुके हैं कि प्रदेश की सुरक्षा, सामाजिक संतुलन और कानून व्यवस्था के साथ समझौता किसी भी हाल में स्वीकार नहीं होगा। इसी नीति के तहत पश्चिम उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासन द्वारा व्यापक सत्यापन अभियानों को तेज कर दिया गया है। इसी क्रम में सोमवार की देर रात मुजफ्फरनगर में सड़क किनारे अस्थायी रूप से झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे लोगों के बीच विशेष ‘टॉर्च ऑपरेशन’ चलाया गया, जिसके माध्यम से पुलिस ने रात के अंधेरे में प्रवासी परिवारों का एक-एक कर सत्यापन किया।
रात्रिकालीन जांच अभियान के दौरान पुलिस बल ने इन बस्तियों में पहुंचकर रहवासी परिवारों से आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य पहचान दस्तावेज मांगे। अधिकारियों के अनुसार यह कदम इसलिए आवश्यक था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिले की संवेदनशील सीमाओं पर कोई भी व्यक्ति बिना वैध अनुमति या पहचान के न रह रहा हो। पुलिस के साथ-साथ खुफिया इकाइयों के कर्मियों ने भी इस अभियान में भाग लिया और प्रत्येक टेंट, झोपड़ी और अस्थायी ढांचे का निरीक्षण किया गया।
मुजफ्फरनगर प्रशासन पिछले एक महीने से जिले में गहन सत्यापन अभियान संचालित कर रहा है। पहले चरण में किरायेदारों, नए बसे परिवारों, और बाहरी श्रमिकों की पहचान व पंजीकरण की कार्रवाई की गई थी। अब यह दायरा बढ़ाकर सड़क किनारे अस्थायी रूप से बसे प्रवासी समुदाय तक पहुंचाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि कई बार ऐसे अस्थायी ठिकानों में बिना दस्तावेज वाले व्यक्ति लंबे समय तक रह जाते हैं, जो सुरक्षा जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि सरकारी एजेंसियां समय-समय पर सतर्कता बरतते हुए सत्यापन और दस्तावेज जांच करती रहें।
इस रात्रि अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए सीओ सिटी सिद्धार्थ के. मिश्रा ने बताया कि यह एक योजनाबद्ध कार्रवाई थी, जिसे मुख्यमंत्री के निर्देशों और सहारनपुर डीआईजी के आदेशों के तहत अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि जिले में आने वाले सभी बाहरी व्यक्ति वैध दस्तावेज के साथ हों। यदि कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से रह रहा है या किसी संदिग्ध गतिविधि में शामिल है, तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी।” मिश्रा के अनुसार पिछले एक महीने से चल रहा सत्यापन अभियान आगे भी जारी रहेगा और प्रत्येक नए प्रवासी, किरायेदार और अस्थायी व्यवसायी को इस प्रक्रिया से गुजरना होगा।
सोमवार रात किए गए सत्यापन के दौरान पुलिस ने पाया कि अधिकांश लोग दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों से आकर रिक्शा चलाने, फेरी लगाने और दैनिक मजदूरी करने का कार्य कर रहे हैं। पुलिस के मुताबिक अब तक की जांच में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो संदिग्ध हो या जिसकी पहचान स्पष्ट न हो। इसके बावजूद सुरक्षा और संवेदनशीलता के दृष्टिकोण से यह अभियान अनवरत तौर पर जारी रहेगा। अधिकारियों का मानना है कि सत्यापन के माध्यम से न केवल संभावित आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है, बल्कि अवैध प्रवास, मानव तस्करी, चोरी-छिपे आवागमन और फर्जी दस्तावेजों के दुरुपयोग जैसी चुनौतियों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
फिलहाल जिले में पुलिस की सघन निगरानी, दस्तावेज जांच और माइग्रेशन प्रोफाइलिंग के चलते एक स्पष्ट संदेश सामने आया है—उत्तर प्रदेश में बिना वैध अनुमति, फर्जी पहचान या अवैध रूप से रहने वालों के लिए कोई स्थान नहीं। प्रशासन का कहना है कि नागरिकों को सत्यापन प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए, क्योंकि यह कदम प्रदेश की सुरक्षा, कानून व्यवस्था और सामुदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।