अयोध्या न्यूज डेस्क: इस बार सर्पदंश के मामले तेजी से बढ़े हैं और लोगों ने भी समझदारी दिखाते हुए झाड़-फूंक की बजाय सीधे अस्पताल जाना बेहतर समझा। वहां उन्हें समय पर एंटी स्नेक वेनम देकर इलाज किया गया। खास बात यह है कि जहां पहले मानसून में ही ऐसे मामले बढ़ते थे, इस बार मार्च-अप्रैल से ही सर्पदंश की घटनाएं रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने संभावित खतरे को पहले ही भांपते हुए तैयारी कर ली थी। जिले के बड़े अस्पतालों के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध कराई गई थी। आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले साल अप्रैल तक केवल 41 मामले दर्ज हुए थे, जबकि इस बार जून तक 472 केस सामने आ चुके हैं। इनमें से 148 लोग विषैले सांपों का शिकार बने।
जनवरी से लेकर जून तक लगातार सर्पदंश के मामले बढ़े हैं – जनवरी में 19, फरवरी में 29, मार्च में 45, अप्रैल में 81, मई में 107 और जून में 191 केस आए। कुल 472 में से 189 लोगों को वैक्सीन दी गई, जबकि पांच लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई। इनमें से कई मामलों में समय पर इलाज मिलने से जान बच पाई, जो स्वास्थ्य विभाग की तत्परता को दर्शाता है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुशील कुमार ने सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बिना टॉर्च के अंधेरे में न निकलें, कम रोशनी वाले इलाकों में खास ध्यान दें। खेतों या बागों में नंगे पांव न जाएं और खुले में शौच या जमीन पर सोने से बचें। तालाब और नदी के पास भी सतर्कता जरूरी है। इस तरह की सावधानी बरतकर खतरे से बचा जा सकता है।