इजरायल और ईरान के बीच जारी तनाव अब एक बड़े युद्ध के रूप में सामने आ सकता है, क्योंकि अमेरिका पूरी तरह से इस जंग में कूदने के लिए तैयार है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर संभावित हमले को मंजूरी दे दी है और इसके लिए विस्तृत अटैक प्लान भी तैयार कर लिया है। हालांकि, ट्रंप ने अभी तक अंतिम हमले का आदेश जारी नहीं किया है, क्योंकि वे ईरान को शांति और समझौते का एक आखिरी मौका देना चाहते हैं।
अमेरिका का रुख: हमले से पहले संवाद की संभावना
राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका के पास ईरान के लिए एक अच्छा ऑफर है और वे चाहते हैं कि ईरान इस प्रस्ताव को स्वीकार करे। उन्होंने बताया कि पिछले 60 दिनों तक अमेरिका और ईरान के बीच बातचीत चली थी, लेकिन 61वें दिन ईरान ने वार्ता से इंकार कर दिया था। ट्रंप ने कहा कि अगर ईरान अब बातचीत करना चाहता है तो अमेरिका उसे इस मौके को देने के लिए तैयार है। ट्रंप ने यह भी कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से इतने मौतों और विनाश को देखना पसंद नहीं करते, इसलिए हमले से पहले शांति की संभावना को अहमियत देते हैं।
उनका यह रुख दिखाता है कि अमेरिका युद्ध के रास्ते को अंतिम विकल्प मान रहा है और फिलहाल वे कूटनीतिक समाधान के लिए भी दरवाजा खुला रखना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा कि युद्ध के समय चीजें कभी भी बदल सकती हैं, इसलिए अभी भी कोई भी कदम उठाने से पहले वे ईरान को बात करने का मौका देना चाहते हैं।
ईरान का जवाब: धमकियों के आगे झुकने का सवाल ही नहीं
अमेरिका के इस बयान के जवाब में ईरान ने सख्त रुख अपनाया है। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि ईरान के किसी अधिकारी ने कभी व्हाइट हाउस के दरवाजे पर गिड़गिड़ाने की बात नहीं की। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों को झूठा बताया और साथ ही ट्रंप द्वारा ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई को खत्म करने की धमकी को कायरतापूर्ण करार दिया।
ईरान ने कहा है कि वे किसी भी दबाव में आकर बातचीत नहीं करेंगे और न ही किसी दबाव के आगे झुकेंगे। उनका कहना है कि वे खासतौर पर युद्ध-प्रेमी अमेरिकी प्रशासन के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी धमकी का जवाब वे जवाबी कार्रवाई से देंगे और अमेरिका की किसी भी सैन्य गतिविधि का जवाब उसी प्रकार की कार्रवाई से देंगे।
ईरान की आत्मरक्षा नीति और जवाबी कार्रवाइयां
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने भी एक बड़ा बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि ईरान ने कभी परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश नहीं की और न ही भविष्य में कभी ऐसा करने का इरादा रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान केवल अपनी आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग करता है।
अराकची ने बताया कि जब उनके देश के खिलाफ सबसे भयानक आक्रमण होते हैं, तब भी ईरान ने केवल इजरायल के शासन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की है, न कि उनके उन समर्थकों के खिलाफ जो इजरायल का समर्थन करते हैं। उन्होंने गर्व और बहादुरी के साथ कहा कि ईरान अपनी आत्मरक्षा के अधिकार को कायम रखेगा और विरोधियों को पछताने पर मजबूर करेगा।
विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान कूटनीति के प्रति प्रतिबद्ध है और उनका दृष्टिकोण गंभीर और दूरदर्शी है। उनका कहना है कि ईरान युद्ध को आखिरी विकल्प मानता है लेकिन अपनी सुरक्षा और स्वाभिमान की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगा।
क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव बढ़ने का खतरा
इजरायल की ओर से लगातार छठे दिन ईरान के परमाणु ठिकानों पर फाइटर जेट्स से हमले जारी हैं। इजरायली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने बताया कि लगभग 60 फाइटर जेट्स ने तेहरान के 20 से अधिक सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है, जिनमें हथियार बनाने की फैक्ट्रियां, रिसर्च एवं डेवलपमेंट केंद्र और मिसाइल निर्माण से जुड़ी जगहें शामिल हैं।
आईडीएफ ने यह भी कहा कि इस हमले का मकसद उन मिसाइलों के कच्चे माल और कलपुर्जों को नष्ट करना है, जो ईरान इजरायल पर दागता है। साथ ही, ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम के निर्माण स्थल भी हमले का हिस्सा रहे हैं। इससे साफ संकेत मिलता है कि इजरायल इस युद्ध को रोकने के लिए प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक की रणनीति अपना रहा है।
निष्कर्ष
अमेरिका की तैयारियों और ईरान के कड़े रुख को देखते हुए इजरायल-ईरान संघर्ष में किसी भी समय बड़ा सैन्य संघर्ष शुरू हो सकता है। डोनाल्ड ट्रंप का यह रुख कि वे हमले से पहले शांति का मौका देना चाहते हैं, एक सकारात्मक पहल है, लेकिन साथ ही उनकी तैयारियां यह भी दर्शाती हैं कि अमेरिका संघर्ष के लिए पूरी तरह से सजग है।
दुनिया को उम्मीद है कि इस जंग का कोई शांतिपूर्ण समाधान निकलेगा, लेकिन यदि संघर्ष शुरू होता है तो इसका प्रभाव केवल क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ेगा। ऐसे समय में सभी पक्षों को संयम बरतना और कूटनीतिक संवाद को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है।