नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौता (ट्रेड डील) जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है। ये संकेत खुद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिए हैं। एचटी लीडरशिप समिट में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच यह डील जल्द ही संभव हो सकती है, हालांकि उन्होंने कोई विशिष्ट समय-सीमा बताने से इनकार कर दिया।
"डील जल्द हो सकती है, पर अचानक चीजें पलट सकती हैं"
विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि डील को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है और दोनों पक्ष एक उचित सहमति पर पहुंचने की दिशा में काम कर रहे हैं। समय-सीमा पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “अगर आप मुझसे पूछते हैं कि क्या यह जल्द हो सकती है, तो मेरा जवाब होगा, हां।” हालांकि, उन्होंने कूटनीति की अनिश्चितताओं को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि डिप्लोमेसी में, "आप हमेशा आशावादी रहते हैं, लेकिन अचानक चीजें पलट सकती हैं।" इस बयान से स्पष्ट है कि हालांकि प्रगति हुई है, अंतिम निर्णय से पहले कई जटिल कारक शामिल हैं।
मजदूरों और किसानों के हित सर्वोपरि
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि इस डील को अंतिम रूप देने के लिए भारत को "कठिन मोलभाव" करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में भारत के आंतरिक हितों, विशेष रूप से मजदूरों, किसानों और मध्यम वर्ग के हितों को ध्यान में रखना सबसे अहम है। उन्होंने कहा, "अगर हम अमेरिका के साथ ट्रेड डील को देखते हैं तो हमें अपने विवेक का ज्यादा इस्तेमाल करना होगा। भारत अपने हितों के साथ खड़ा होगा।"
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों के लिए व्यापार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और किसी भी तरह के मतभेद को दूर करने के लिए बातचीत जरूरी है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कूटनीति के "अनोखे" तरीकों का भी जिक्र किया, जो पिछले राष्ट्रपतियों से अलग हैं।
भारत के ऐतराज के मुख्य बिंदु
ट्रेड डील के रास्ते में सबसे बड़ी बाधाएं भारत के कुछ संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर हैं, जिन पर भारत सख्त रुख अपनाता आया है:
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डेयरी और पॉल्ट्री सेक्टर: भारत अपना बाजार इन क्षेत्रों के लिए विदेशी कंपनियों के लिए खोलने का विरोध करता है। भारत में डेयरी सेक्टर लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत है और अमेरिकी कंपनियों के लिए बाजार खुलने से घरेलू उत्पादकों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
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कृषि उत्पाद: अमेरिका भारत पर मक्का, सोयाबीन, गेहूं, इथेनॉल, फल और मेवों जैसे कृषि उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने का दबाव बनाता रहा है। एक कृषि प्रधान देश होने के नाते, भारत ऐसे कदम को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है।
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जेनेटिकली मोडिफाइड उत्पाद: भारत का ऐतराज मुख्य रूप से इस बात पर है कि अमेरिका ज्यादातर जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) मक्का और सोयाबीन उगाता है, जिसे भारत स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए संभावित रूप से नुकसानदायक मानता है।
जल्द आ सकती है अमेरिकी टीम
रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों की एक टीम जल्द ही भारत का दौरा कर सकती है। इस टीम का उद्देश्य ट्रेड डील के अनसुलझे मुद्दों पर चर्चा करना और गतिरोध को दूर करके डील की राह को आसान बनाना होगा। यह उच्च-स्तरीय दौरा डील को अंतिम चरण तक ले जाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।