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'दुनिया उसे साधु मानती है, पर वो शैतान है', बांग्लादेश के पूर्व डिप्लोमैट ने किया खुलासा, बताए यूनुस के चौंकाने वाले सच

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Posted On:Tuesday, December 9, 2025

बांग्लादेश के अंदरूनी हालात इस समय अस्थिर हैं, जहां नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के प्रमुख हैं. इन हालातों के बीच, बांग्लादेश के पूर्व खुफिया अधिकारी और राजनयिक अमीनुल हक पोलाश ने पहली बार यूनुस के राजनीतिक और आर्थिक नेटवर्क का पर्दाफाश किया है. पोलाश, जो शेख हसीना सरकार गिरने के बाद देश छोड़कर बाहर रह रहे हैं, ने न्यूज 18 के साथ एक विशेष बातचीत में बताया कि यूनुस के हाथ में कितनी ताकत और आर्थिक पकड़ है, और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा दुनिया के सामने वाली उनकी छवि से बिल्कुल अलग है.

जांच ने बनाया निर्वासन का कारण

पोलाश ने बताया कि उन्होंने लगभग 10 साल तक राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश सेवा में काम किया. सब कुछ सामान्य था, लेकिन जैसे ही उनकी जाँच यूनुस के विशाल आर्थिक नेटवर्क तक पहुँची, उन्हें चुप रहने की धमकियाँ मिलने लगीं. उनके मुताबिक, उनके खिलाफ 'न्यूट्रलाइज और गायब कर दो' जैसे शब्द इस्तेमाल किए जा रहे थे. भारत में उनकी डिप्लोमैटिक पोस्ट को अचानक वापस बुला लिया गया. यह एक स्पष्ट संकेत था कि बांग्लादेश वापस जाना जान जोखिम में डालने जैसा होगा. इसलिए उन्हें मजबूरी में निर्वासन का फैसला लेना पड़ा, जो उनके परिवार को बचाने का एकमात्र तरीका था.

माइक्रोक्रेडिट: चोरी की गई अवधारणा?

पोलाश ने एक दस्तावेज़ के माध्यम से चुनौती दी कि यूनुस का माइक्रोक्रेडिट खोजने का दावा गलत है. उन्होंने बताया कि इन दस्तावेजों में पूरा तरीका लिखा गया है, जो यह दिखाता है कि माइक्रोक्रेडिट की असली अवधारणा यूनुस की नहीं थी. उन्होंने इसे चुराया, री-ब्रांड किया और असली रचनाकारों का नाम मिटा दिया. यह दरअसल फोर्ड फाउंडेशन द्वारा समर्थित एक विश्वविद्यालय परियोजना थी, जिसे युवा शोधकर्ताओं (स्वपन अदनान, नसीरुद्दीन और एच.आई. लतीफी) ने डिज़ाइन किया था. समय के साथ सभी नाम गायब हो गए और माइक्रोक्रेडिट के आविष्कार का पूरा श्रेय यूनुस को मिल गया.

गरीबी के नाम पर आर्थिक साम्राज्य

पोलाश ने कहा कि दुनिया यूनुस को संत मानती है, लेकिन बांग्लादेश के अंदर उनकी एक पूरी आर्थिक और संस्थागत पकड़ दिखती है. उनका उद्देश्य संस्थाओं पर कब्जा करना, लोगों के पैसे को निजी बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई इस तक न पहुँच सके. ग्रामीण बैंक के पैसों को सामाजिक उन्नयन फंड से निकालकर निजी संस्था ग्रामीण कल्याण में भेजा गया. इसके बाद लगभग 50 संस्थाओं का एक जटिल नेटवर्क बन गया, जिनका अंतिम नियंत्रण केवल यूनुस के पास था.

सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि ग्रामीण टेलिकॉम ने 2022 तक $10,890$ करोड़ टका का डिविडेंड कमाया, लेकिन इसके मजदूरों को हिस्सा नहीं मिला. कई संस्थाएँ नुकसान दिखाती रहीं, पर पैसा उसी नेटवर्क में घूमता रहा. पोलाश ने इसे चैरिटी नहीं, बल्कि 'गरीबी का नाम देकर की गई कोऑपरेट इंजीनियरिंग' बताया.

टैक्स चोरी और लेबर लॉ का उल्लंघन

पोलाश ने बताया कि यूनुस ने लगभग $100$ करोड़ टका अपनी ही बनाई ट्रस्टों में 'लोन' के रूप में ट्रांसफर किए ताकि टैक्स न लगे. नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने $15.4$ करोड़ का टैक्स लगाया, जिसे हर अदालत ने सही ठहराया. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी संस्थाओं पर लगभग $2,000$ करोड़ टका बकाया है, जिसे देने के बजाय केस फाइल कर दिए गए, ताकि मामला खिंचता रहे.

लेबर केस पर पोलाश ने कहा कि जिस आदमी को गरीबों का मसीहा माना जाता था, उसने बेसिक लेबर लॉ का भी पालन नहीं किया. अदालत ने यूनुस के खिलाफ फैसले दिए, लेकिन जब 2024 में अंतरिम सरकार बनी, तो यह निर्णय गायब हो गया और बड़े भ्रष्टाचार, टैक्स और लेबर केस खत्म हो गए.

राजनीतिक महत्वाकांक्षा: 2006 से तैयारी

पोलाश ने 2006-08 की अंतरिम सरकार के दौरान यूनुस को मिले विदेशी रेमिटेंस का जिक्र करते हुए कहा कि यह दिखाता है कि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा अचानक नहीं पैदा हुई, बल्कि 20 साल पहले ही शुरू हो चुकी थीं. उस समय उनके निजी खाते में करीब $48$ करोड़ टका आए, ठीक उसी दौरान जब वे एक राजनीतिक पार्टी बनाने की तैयारी कर रहे थे. यह पैटर्न साफ दिखाता है कि वह तब भी सत्ता की तैयारी कर रहे थे और 2024 में भी उन्होंने वही काम और अच्छी तरह से किया.


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