भारत के पड़ोसी देश नेपाल में सियासी हलचल तेज हो गई है। यहां राजशाही बहाल करने और देश को फिर से हिंदू राज्य घोषित करने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन जोर पकड़ चुके हैं। इस आंदोलन में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP), आरपीपी नेपाल समेत कई राजशाही समर्थक संगठन शामिल हैं, जो लगातार चौथे दिन भी राजधानी काठमांडू में प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को पुलिस ने पूर्व गृह मंत्री कमल थापा समेत उनके समर्थकों को गिरफ्तार किया, जिनके साथ हुई गिरफ्तारी का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
राजशाही बहाल करने की मांग और राजनीतिक पारा
नेपाल में राजशाही बहाल करने की मांग पिछले कुछ महीनों से तेज हुई है। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और अन्य राजशाही समर्थक समूहों का कहना है कि देश में जो राजनीतिक अस्थिरता है, उसका समाधान राजा को सत्ता में वापस लाने में है। ये प्रदर्शन 29 मई से काठमांडू में चल रहे हैं, जहां प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के खिलाफ नारे लगाए। ये लोग चाहते हैं कि नेपाल फिर से हिंदू राज्य घोषित हो, जैसा कि पहले था।
गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई
राजनीतिक आंदोलन के बीच रविवार को पुलिस ने काठमांडू में पूर्व गृह मंत्री कमल थापा और उनके समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि ये लोग प्रतिबंधित क्षेत्र नारायणहिती पैलेस के आसपास प्रदर्शन कर रहे थे, जहां शुक्रवार से सार्वजनिक समारोह और विरोध प्रदर्शन पर रोक लगी हुई है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि पुलिस ने कमल थापा को घसीटकर पकड़कर वैन में बैठाया, जबकि थापा नेपाल सरकार के खिलाफ जोरदार नारे लगा रहे थे। इस गिरफ्तारी से तनाव और बढ़ गया है और विरोध प्रदर्शन में और उग्रता की संभावना जताई जा रही है।
नेपाल की राजशाही खत्म होने का इतिहास
नेपाल की राजशाही की 240 साल पुरानी परंपरा 2008 में खत्म हो गई थी। तब नेपाल की राजनीतिक पार्टियों ने एक संसदीय घोषणा करके नेपाल को धर्मनिरपेक्ष, संघीय और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया। इससे पहले नेपाल एक हिंदू राजा वाला राज्य था। इस बदलाव ने नेपाल की राजनीति और सामाजिक संरचना में बड़ा परिवर्तन किया था। हालांकि, इस फैसले को लेकर पूरी सहमति नहीं बनी और कुछ हिस्सों में राजशाही समर्थकों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा आज भी जिंदा है।
राजशाही समर्थकों के प्रदर्शन के कारण
हाल के महीनों में नेपाल के कई हिस्सों में राजशाही समर्थक प्रदर्शन बढ़े हैं। वे सरकार की नीतियों से नाराज हैं और मानते हैं कि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था देश को स्थिर नहीं कर पा रही। उनका कहना है कि राजशाही बहाल करने से देश में राजनीतिक संकट का अंत होगा और राष्ट्रीय एकता वापस आएगी। इसके साथ ही ये प्रदर्शन नेपाल को फिर से हिंदू राज्य घोषित करने की मांग भी कर रहे हैं, जो देश की धार्मिक पहचान को लेकर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा है।
भविष्य की राजनीति पर प्रभाव
नेपाल में राजशाही समर्थकों के बढ़ते प्रदर्शन और सरकार की सख्त प्रतिक्रिया से देश की राजनीतिक स्थिरता खतरे में पड़ सकती है। पूर्व गृह मंत्री कमल थापा जैसे बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से विरोध और बढ़ेगा, जिससे सड़क पर संघर्ष के हालात बन सकते हैं। नेपाल की सरकार को इस संकट को सुलझाने के लिए राजनीतिक समझौते और बातचीत का रास्ता निकालना होगा, ताकि देश में शांति और व्यवस्था बनी रहे।
निष्कर्ष
नेपाल में राजशाही बहाली और हिंदू राज्य घोषित करने की मांग ने देश की राजनीतिक तस्वीर को नया मोड़ दे दिया है। 2008 में खत्म हुई राजशाही की प्रथा को लेकर उठ रहे सवाल और प्रदर्शन सरकार के लिए बड़ी चुनौती हैं। पूर्व गृह मंत्री कमल थापा की गिरफ्तारी ने इस आंदोलन को और तेज कर दिया है। आने वाले दिनों में नेपाल की राजनीतिक परिस्थितियों पर नजर रखना जरूरी होगा कि क्या ये आंदोलन देश में स्थिरता लेकर आएगा या फिर राजनीतिक संकट और बढ़ेगा। नेपाल की इस सियासी उथल-पुथल का असर क्षेत्रीय स्थिरता और भारत-नेपाल संबंधों पर भी पड़ सकता है।