इटली के सिसिली स्थित कटानिया बंदरगाह से एक जून को राहत सामग्री लेकर गाजा के लिए रवाना हुए जहाज में पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और 11 अन्य कार्यकर्ता सवार थे। यह मिशन गाजा में जारी मानवीय संकट को उजागर करने और वहां आवश्यक राहत सामग्री पहुंचाने के उद्देश्य से था। लेकिन जब यह जहाज सात जून को मिस्र के तट के पास पहुंचा, तो देर रात करीब दो बजे इजरायली सेना ने इस जहाज को चारों ओर से घेर लिया। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस को जन्म दिया है।
राहत सामग्री लेकर गाजा रवाना हुआ जहाज
इस जहाज पर स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के साथ-साथ यूरोपीय संसद की सदस्य रीमा हसन और अभिनेता लियाम कनिंघम भी मौजूद थे। फ्रेंड्स फॉर फ्रीडम एंड जस्टिस (FFC) नामक संगठन ने बताया कि यह अभियान गाजा के लिए मानवीय सहायता पहुंचाने का था, जहां पिछले कई महीनों से मानवीय संकट गहराता जा रहा है। यह मिशन मई में उसी प्रकार के एक अन्य जहाज पर हुए ड्रोन हमले के बाद शुरू किया गया था, जिसके लिए FFC ने इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था।
इजरायल की प्रतिक्रिया और आरोप
इजरायली सेना द्वारा जहाज को घेर लेने के बाद, ग्रेटा थनबर्ग ने एक वीडियो संदेश जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि यदि कोई यह वीडियो देख रहा है, तो इसका मतलब है कि इजरायली या उनके समर्थक बलों ने उन्हें अपहरण कर लिया है। इस घटना पर इजरायली विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गाजा के तट के पास का समुद्री क्षेत्र प्रतिबंधित है और यह अभियान कोई मानवीय मिशन नहीं, बल्कि एक प्रचार स्टंट था। मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि जहाज पर 100 पाउंड से भी कम राहत सामग्री थी, जबकि इजरायल पिछले दो हफ्तों में 1,200 से अधिक ट्रकों के जरिए गाजा में सहायता पहुंचा चुका है।
इजरायल ने इस जहाज को "सेलिब्रिटीज की सेल्फी नौका" करार देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य केवल प्रचार पाना था। इस बयान ने इस घटना को लेकर मतभेदों को और गहरा कर दिया है।
गाजा की स्थिति और समुद्री नाकाबंदी
इजरायल ने 2007 से गाजा पर समुद्री नाकाबंदी लागू कर रखी है, जिसका उद्देश्य हथियारों की आपूर्ति को रोकना बताया गया है। हालांकि इजरायल ने मानवीय सहायता की सीमित अनुमति दी है, लेकिन राहत संगठनों का मानना है कि गाजा अभी भी अकाल के कगार पर है। उनका कहना है कि जब तक नाकाबंदी पूरी तरह नहीं हटाई जाती और सैन्य अभियान जारी रहते हैं, तब तक वहां की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सकता।
गाजा में हमास के कब्जे में अभी भी 50 से अधिक इजरायली बंधक हैं, जो स्थिति को और जटिल बनाते हैं। इस बीच मानवीय संकट गहरा रहा है और राहत कार्यों में बाधाएं आ रही हैं।
ग्रेटा थनबर्ग कौन हैं?
ग्रेटा थनबर्ग एक स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता हैं, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक आंदोलन की प्रमुख आवाज बन चुकी हैं। उनका जन्म 3 जनवरी 2003 को स्टॉकहोम, स्वीडन में हुआ था। 2018 में मात्र 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने "Fridays for Future" आंदोलन शुरू किया, जिसमें लाखों युवा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाने लगे।
उनका "स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट" आंदोलन विश्व भर में लोकप्रिय हुआ और 2019 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में उनके "How Dare You?" भाषण ने दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया। ग्रेटा को 2019 में टाइम मैगज़ीन द्वारा "पर्सन ऑफ द ईयर" चुना गया और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी कई बार नामांकित किया गया।
मानवीय मिशन या प्रचार?
इस पूरे विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह अभियान वास्तव में गाजा के लिए मानवीय सहायता पहुंचाने का था या केवल एक राजनीतिक और प्रचारात्मक कदम। ग्रेटा थनबर्ग और उनके साथियों का दावा है कि वे मानवीय संकट को उजागर करने के लिए वहां गए थे, जबकि इजरायली अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान क्षेत्रीय सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करता है और एक प्रचार स्टंट था।
निष्कर्ष
गाजा में मानवीय संकट के बीच यह घटना विश्व समुदाय के लिए एक चुनौती है कि कैसे वे क्षेत्र में फंसे लोगों की मदद कर सकें और साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा और राजनीतिक तनाव के बीच संतुलन बना सकें। ग्रेटा थनबर्ग जैसे वैश्विक कार्यकर्ताओं का मानना है कि संकट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और सहायता को हर हाल में पहुंचाना आवश्यक है। वहीं, इजरायली सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को समझना जरूरी है।
आने वाले दिनों में इस घटना पर और अधिक चर्चा और जांच हो सकती है, जो गाजा की स्थिति पर वैश्विक ध्यान को और अधिक बढ़ाएगी। गाजा की नाकाबंदी और मानवीय स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सामूहिक प्रयास करने होंगे ताकि वहां के लोगों को उचित सहायता मिल सके और क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे।