मुंबई, 23 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान में सिंधु जल संकट गहराता जा रहा है और अब इसे लेकर वहां की संसद में भी तीखी आवाजें उठने लगी हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से सांसद सैयद अली जफर ने सिंधु जल संकट को "वाटर बम" करार देते हुए सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने संसद में कहा कि देश की 90% फसलें सिंधु नदी के पानी पर निर्भर हैं और हर 10 में से 9 नागरिक इसी नदी से मिलने वाले जल पर जीवित हैं। अली जफर ने चेतावनी दी कि अगर संकट का समाधान तुरंत नहीं निकाला गया तो पाकिस्तान में भूख और प्यास से लोग मर सकते हैं, क्योंकि सिंधु बेसिन देश की जीवन रेखा है और इसका तीन-चौथाई पानी देश के बाहर से आता है। इस मामले पर पाकिस्तान की सेना भी खुलकर सामने आई है। सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भारत को सिंधु जल को लेकर धमकी भरे लहजे में कहा है कि अगर भारत ने पाकिस्तान का पानी रोकने की कोशिश की तो पाकिस्तान भारत की "सांसें बंद कर देगा"। उन्होंने इस बयान को एक विश्वविद्यालय में दिए गए भाषण के दौरान सार्वजनिक किया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह बयान किस स्थान और अवसर पर दिया गया था।
दरअसल, यह विवाद 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद और गहरा गया। इस हमले में पांच आतंकियों ने 26 टूरिस्ट्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए कई बड़े कदम उठाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रोकने, अटारी चेक पोस्ट बंद करने, वीजा सेवा निलंबित करने और दोनों देशों के उच्चायुक्तों को हटाने जैसे फैसले लिए गए थे। सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसमें सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों, सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज का जल विभाजन तय किया गया था। यह इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें 47% हिस्सा पाकिस्तान, 39% भारत, 8% चीन और 6% अफगानिस्तान में आता है। इस पूरे क्षेत्र में लगभग 30 करोड़ लोग रहते हैं, जो इन नदियों के पानी पर निर्भर हैं। भारत द्वारा संधि पर रोक लगाने और पाकिस्तानी नेताओं के भड़काऊ बयानों ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच जल विवाद को गरमा दिया है। आने वाले समय में इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।