दिग्गज अभिनेता मुकेश खन्ना, जो शक्तिमान और भीष्म पितामह जैसे ऐतिहासिक किरदारों के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर अपने बेबाक अंदाज़ मेंसामने आए हैं। मुंबई में पहेली गीत 2 के लॉन्च इवेंट पर उन्होंने आधुनिक बॉलीवुड पर तीखा हमला बोला और कहा कि आज की फिल्मों में हिंसा, अश्लीलता और धार्मिक अपमान को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो समाज के लिए घातक है।
"यह सिर्फ एक गाने का लॉन्च नहीं है, यह एक संदेश है," खन्ना ने शुरुआत की। "अभी कुछ दिन पहले मेरी नई फिल्म विश्वगुरु गुजरात में रिलीज़ हुई— यह मेरी पहली गुजराती फिल्म है। यह एक मैसेज-ओरिएंटेड फिल्म है। लेकिन जो हो रहा है आजकल, वह चिंताजनक है। कुछ बाहरी संस्थाएं, प्लेटफॉर्म्स और कथित क्रिएटर्स हमारे युवाओं को ज़हर खिला रहे हैं — बंदूकें, हिंसा और गंदगी। यह मनोरंजन नहीं है, यह विनाश है। ये लोग हमारेयुवाओं को ही नहीं, हमारी ज़मीन, खेती और चिकित्सा पद्धति तक को बर्बाद कर रहे हैं।”
खन्ना ने रणबीर कपूर की चर्चित और विवादास्पद फिल्म एनिमल पर सीधा हमला किया। “मैं सभी से निवेदन करता हूं कि विश्वगुरु जैसी फिल्मों कासमर्थन करें। और हां, मैं खुलकर कहता हूं — एनिमल जैसी फिल्मों पर बैन लगना चाहिए। मैं इसके खिलाफ हूं। और मैं इसके साथ भी हूं — मतलब, फिल्म ने पैसा कमाया, मानता हूं, लेकिन जो संदेश दिया गया वो पूरी तरह गलत है। आप एक फिल्म को सिर्फ इसलिए अच्छा नहीं कहसकते क्योंकि उसने बॉक्स ऑफिस पर पैसा कमाया। अगर उसका मैसेज जहरीला है, तो वह तारीफ के काबिल नहीं है।”
इसके बाद मुकेश खन्ना ने आमिर खान की पीके को आड़े हाथों लेते हुए कहा: “पीके में शंकर भगवान का मज़ाक उड़ाया गया — और लोग इसे'फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन' कहकर बचाव करते हैं। मैं कहता हूं — फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, माय फुट! अगर हिम्मत है, तो किसी मुस्लिम, सिख याईसाई धर्म का मज़ाक उड़ाकर दिखाओ, सड़कों पर दंगे हो जाएंगे। लेकिन हिंदू धर्म सहिष्णु है, इसलिए हर कोई इसे निशाना बना लेता है। शर्म आनीचाहिए ऐसे निर्माताओं को!”
खन्ना ने यह भी बताया कि वे पिछले 10 वर्षों से जय हिंद अभियान के ज़रिए गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को शहीद का दर्जा दिलाने की लड़ाई लड़रहे हैं।
“चंद्रशेखर आज़ाद जैसे हज़ारों क्रांतिकारी हैं, जिन्हें कोई जानता तक नहीं। 7000 से ज़्यादा स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया, लेकिन फिल्मों मेंउन्हीं 10-15 नामों को बार-बार दिखाया जाता है। हमें उनकी कहानियां सुनानी चाहिए, न कि गैंगस्टर्स, ड्रग्स और धर्म के अपमान को महिमामंडितकरना चाहिए।”
अंत में मुकेश खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री को चेतावनी दी: “बॉलीवुड को जागना होगा। आपके पास प्रभाव है, उसका सही इस्तेमाल कीजिए। चमक-दमकमें लपेट कर ज़हर मत बेचिए। जो धर्म का मज़ाक उड़ाते हैं, जो हिंसा को आदर्श बनाते हैं — उन्हें शर्म से डूब मरना चाहिए। जिम्मेदारी के बिनाआज़ादी का कोई मतलब नहीं।”
मुकेश खन्ना के इस बयान ने फिल्म इंडस्ट्री में एक बार फिर विवादों की चिंगारी सुलगा दी है। उनके इस बेबाक तेवर ने यह सवाल खड़ा कर दिया हैकि क्या आज की फिल्मों में सिनेमा की सामाजिक ज़िम्मेदारी खो गई है