इन दिनों सोशल मीडिया फर्जी सूचनाओं और भ्रामक दावों का अड्डा बनता जा रहा है। कोई भी व्यक्ति किसी भी घटना या फोटो को तोड़-मरोड़ कर इस तरह पेश करता है कि सच्चाई और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। बिना किसी पुष्टि के पोस्ट किए गए दावों पर लोग आंख बंद कर विश्वास कर लेते हैं, जिससे न सिर्फ गलतफहमी फैलती है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी असर पड़ता है।
हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति और एक युवती की दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में रहने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति शकील ने अपने बेटे की मौत के सिर्फ 5 दिन बाद अपनी ही बहू से निकाह कर लिया। यह दावा न सिर्फ चौंकाने वाला था, बल्कि धार्मिक भावनाओं से भी खेलता नजर आया।
क्या है वायरल दावा?
फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर्स ने यह दावा करते हुए एक ही तस्वीर को शेयर किया कि एक व्यक्ति ने अपने बेटे की मौत के तुरंत बाद अपनी बहू से शादी कर ली। एक यूजर ने लिखा –
“यूपी के देवरिया के रहने वाले मो. शकील के दरियादिली के चर्चे हैं। बेटा 5 दिन पहले ही इस दुनिया को छोड़ गया। लेकिन शकील ने एक पल भी बहू को अकेलापन महसूस नहीं होने दिया और निकाह कर लिया।”
यह दावा तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और हजारों लोगों ने इसे लाइक और शेयर किया।
क्या निकला सच्चाई?
जब इस तस्वीर और दावे की गहराई से पड़ताल की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। फैक्ट चेक के लिए जब इन तस्वीरों को रिवर्स इमेज सर्च के जरिए जांचा गया, तो मालूम हुआ कि यह तस्वीर 2017 से ही इंटरनेट पर मौजूद है। वायरल हो रही तस्वीरों में जो व्यक्ति दिख रहा है, उसका नाम राजेश कुमार हिमतसिंका है, जो असम के एक बड़े व्यवसायी और हिमतसिंका ऑटो एंटरप्राइजेज लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं।
असली कहानी क्या है?
राजेश कुमार ने अपनी पहली पत्नी के निधन के कई सालों बाद दूसरी शादी की थी। दिलचस्प बात यह थी कि उनकी दूसरी पत्नी उनसे लगभग 40–45 साल छोटी थीं, और उम्र में उनकी बेटी से भी कम थीं। यही वजह थी कि 2017 में यह तस्वीर चर्चा में आ गई थी और उस समय भी खूब वायरल हुई थी।
इसकी पुष्टि राजस्थान पत्रिका और दिव्य मराठी जैसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों की रिपोर्टों से भी हुई है। इन मीडिया रिपोर्ट्स में भी बताया गया कि यह शादी 2017 में असम में हुई थी और इसका उत्तर प्रदेश के देवरिया या किसी मुस्लिम व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है।
निष्कर्ष:
फैक्ट चेक में यह साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर और उसके साथ किया गया दावा पूरी तरह झूठा और भ्रामक है। तस्वीर को तोड़-मरोड़ कर एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाने के इरादे से इस्तेमाल किया गया है।
लोगों से अपील है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी वायरल पोस्ट को बिना सत्यापन के शेयर न करें। फर्जी खबरें समाज में नफरत और भ्रम का कारण बन सकती हैं। ऐसी पोस्ट्स से सतर्क रहें और हमेशा फैक्ट चेक करना न भूलें।