ताजा खबर

Supreme Court: ‘शादी का झूठा वादा करके धोखा देना…’, सहमति से बने रिश्तों में खटास पर SC का बड़ा फैसला

Photo Source :

Posted On:Tuesday, May 27, 2025

नमस्कार, खबरों की दुनिया में आपका स्वागत है। आज की एक बड़ी और कानूनी दृष्टिकोण से बेहद अहम खबर सुप्रीम कोर्ट से सामने आई है। यह फैसला न सिर्फ कानून के दायरे को स्पष्ट करता है, बल्कि झूठे मामलों के खिलाफ न्यायपालिका की सतर्कता को भी उजागर करता है।

सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने एक रेप के मामले को रद्द कर दिया, जिसमें एक युवक पर शादी का झांसा देकर बलात्कार करने का आरोप था। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से रिश्ता बना हो और बाद में उसमें खटास आ जाए, तो वह आपराधिक मुकदमे का आधार नहीं बन सकता।

क्या था मामला?

मामला महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ है, जहां एक महिला ने 25 वर्षीय युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। महिला का आरोप था कि युवक ने उससे शादी का वादा किया और फिर शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन बाद में शादी से इनकार कर दिया। महिला ने इसके आधार पर युवक पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) के तहत मुकदमा दर्ज करवाया।

इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ – जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा – द्वारा की गई। उन्होंने मामले की गहनता से समीक्षा की और जो तथ्य सामने आए, वे कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।

कोर्ट ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की, “ऐसे संबंध जो परस्पर सहमति से बने हों और बाद में उनमें दरार आए, वे अपने आप में आपराधिक नहीं हो जाते। हर बार शादी का वादा पूरा न होने पर धारा 376 का सहारा लेना न केवल कानून का दुरुपयोग है, बल्कि अदालतों के समय और संसाधनों पर भी बोझ है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि “ऐसे मुकदमे न केवल झूठे होते हैं, बल्कि इससे निर्दोष व्यक्ति की सामाजिक पहचान और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है।”

मामले की पड़ताल

कोर्ट के सामने पेश दस्तावेजों और बयानों से यह स्पष्ट हुआ कि युवक और युवती दोनों 8 जून 2022 से एक-दूसरे को जानते थे। दोनों अक्सर बातचीत करते थे और आपसी सहमति से संबंधों में आए। कोर्ट ने माना कि महिला की सहमति उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं थी और केवल शादी के आश्वासन पर नहीं थी।

यह भी देखा गया कि दोनों के बीच प्रेम संबंध था और उन्होंने भावनात्मक जुड़ाव के आधार पर समय बिताया। ऐसे में यह कहना कि युवक ने झूठे वादे कर बलात्कार किया, अदालत को असंगत और अतार्किक लगा।

न्यायपालिका की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जोर देकर कहा कि “अदालतें पहले ही कई बार ऐसी चेतावनियाँ दे चुकी हैं कि कानून का दुरुपयोग न हो। विवाह का हर वादा किसी भी हाल में पूरा नहीं हो सकता, और यदि वह पूरा नहीं हुआ, तो उसे बलात्कार का मामला नहीं बनाया जा सकता।”

सामाजिक असर

इस फैसले का प्रभाव बहुत व्यापक है। यह साफ कर देता है कि रिश्तों में भावनात्मक बदलाव या टूटन को आपराधिक मामला नहीं बनाया जा सकता। आज के समय में जहां कई बार भावनात्मक रिश्तों में दरार आने पर पार्टनर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जाते हैं, वहां यह फैसला एक कानूनी मिसाल बनेगा।

यह फैसला न केवल निर्दोष लोगों की रक्षा करता है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि कानून का गलत इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही यह चेतावनी देता है कि भावनात्मक मामलों को आपराधिक रंग देने से पहले गहराई से सोचने की ज़रूरत है।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय बताता है कि भारत की न्यायपालिका अब भावनात्मक और व्यक्तिगत मामलों को समझदारी से देख रही है। सहमति से बने रिश्ते में खटास आना एक सामान्य सामाजिक परिस्थिति हो सकती है, लेकिन उसे कानून के कठघरे में घसीटना किसी भी रूप में न्यायसंगत नहीं है।

यह फैसला न केवल आरोपी युवक के लिए राहत का कारण बना, बल्कि भविष्य में झूठे मामलों के खिलाफ एक मजबूत कानूनी ढाल भी प्रदान करता है। साथ ही यह समाज को जिम्मेदारी और परिपक्वता के साथ रिश्तों को समझने की सलाह भी देता है।

खबरों की अधिक जानकारी और ताजा अपडेट के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ।


अयोध्या और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ayodhyavocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.