अयोध्या न्यूज डेस्क: अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भक्तों का आस्था और भक्ति का सिलसिला लगातार जारी है। नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच श्रद्धालुओं ने भगवान रामलला के चरणों में दो किलो से अधिक सोना और 83 किलो से ज्यादा चांदी समर्पित की है। कुल 85 किलो से अधिक की इन कीमती धातुओं को देशभर से आए 334 रामभक्तों ने मंदिर को अर्पित किया है। यह जानकारी तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपत राय ने सात जून को हुई ट्रस्टीज बैठक में साझा की।
भक्तों द्वारा समर्पित इन आभूषणों, सिक्कों और शिलाओं की शुद्धता की जांच के लिए मंदिर प्रशासन ने भारत सरकार की संस्था एसपीएमसीआईएल (सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) को जिम्मेदारी सौंपी थी। संस्था के विशेषज्ञ मंदिर परिसर स्थित पीएफसी काउंटर पर बैठकर धातुएं प्राप्त करते थे, रसीद जारी करते थे और बाद में उन्हें गलाकर शुद्धता की पुष्टि के बाद ट्रस्ट को सुपुर्द करते थे। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता था कि समर्पण पूरी तरह पारदर्शिता और शुद्धता के साथ हो।
अब यह व्यवस्था बदलने जा रही है, क्योंकि एसपीएमसीआईएल ने अनुबंध की अवधि पूरी होने के बाद फिलहाल अपने कर्मचारियों को वापस बुला लिया है। तीर्थ क्षेत्र प्रशासन को अब उन काउंटरों पर अपने विश्वसनीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगानी पड़ेगी। हालांकि एसपीएमसीआईएल ने भरोसा दिया है कि जब भी मंदिर प्रशासन चाहेगा, वे परीक्षण और शुद्धिकरण की प्रक्रिया के लिए अपने विशेषज्ञ भेजेंगे।
इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने अनुबंध को नई शर्तों के साथ दोबारा लागू करने का सुझाव दिया है। अब मंदिर प्रशासन इस दिशा में नए सिरे से तैयारी कर रहा है, ताकि रामलला को समर्पित होने वाली प्रत्येक धातु की जांच और प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रह सके। इस पहल से रामभक्तों का विश्वास बना रहेगा और मंदिर की पारदर्शी व्यवस्था भी सुरक्षित रहेगी।